रविवार, 7 मार्च 2010

प्रजाति

व्हीसलर की सीटी से उसकी नींद खुल गई। पिछवाड़े में लगे भोज (बर्च) के पेड़ों के झुंड से आती आवाज़ ने उसक ध्यान खींच लिया। उसे अचानक अहसास हुआ कि ऋतु बदल रही है। सर्दी का अंत हो रहा है, अब व्हीसलर, कार्डिनल, रॉबिन इन्हीं पेड़ों में घोंसले बनाएँगे।
व्हीसलर ने फिर सीटी बजाई। इस बार किसी अन्य प्रजाति की चिड़िया की चहचहाहट सुनाई दी। थोड़ी चुप्पी के बाद व्हीसलर की सीटी के बाद वही चहचहाहट। वह सोचने लगा कि यह क्या वार्तालाप है या यूँ ही एक संयोग। यह सिलसिला चलता रहा। व्हीसलर दो बार सीटी बजाता और वह चिड़िया की चहचहाहट को गिनने में असफल हो जाता... हर बार। क्या बात कर रहे होंगे यह दोनों – सोचते हुए उसने करवट बदली।
उसकी पत्नी अभी भी सो रही थी। उसने आदतन अपनी बाँह उसपर रख दी। वह एक दम झल्ला उठी, "बेकार में सुबह सुबह तंग मत करो।"
उसने करवट बदल कर पीठ कर ली।
वह व्हीसलर और चिड़िया के वार्तालाप को सुनता हुआ सोच रहा था कि क्या यह एक ही प्रजाति के हैं?

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह जी वाह !खूब खाका खींचा! सुमन शैली में मानवीय दाम्पत्य का।

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  2. क्या बात है...सुन्दर सेतु...विचारों का!

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